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विस्तार : सीक्रेट ऑफ डार्कनेस (भाग : 24)




"अंत तो सुनिश्चित हो चुका है नराक्ष! किंतु तुम्हारा।" ग्रेमन अट्ठहास करता हुआ कह रहा था। "तुम हर ओर से युद्ध हार चुके हो! सुपीरियर आर्मी और उसका लीडर धूल बन चुके हैं। विस्तार और वीर भी कुछ खास साबित नही हुए तुम्हारे लिए। हाहाहा…!" ग्रेमन जोर जोर से हँस रहा था, नराक्ष भी उसकी हँसी में शामिल हो गया जिससे ग्रेमन झेंप गया।

"क्या तुम इस युद्ध से पहले ही हार स्वीकार कर लेना चाहते हो नराक्ष?"  ग्रेमन भड़कता हुआ बोला। उसे नराक्ष का इस तरह हंसना अजीब लग रहा था।

"तुम्हें गलत सूचना प्राप्त हुई है तुच्छ कीड़े! विस्तार ने तेरे सभी योद्धाओं को समाप्त कर दिया है और अब तेरी बारी है।" नराक्ष अट्ठहास करता हुआ अपने दाएं हाथ तिरक्षा कर उसकी हथेली को सीधा करता है, अचानक से उसके हाथ में नीले रंग का चमकता हुआ एक विचित्र अस्त्र बनने लगा। यह दिखने में तलवार की ही भांति था पर इसके बीच में एक स्याह गोल चक्र था जिसमें कई कटारों के समान छोटे नुकीले खतरनाक अस्त्र दिखाई दे रहे थे, जिनसे नीले वर्ण का प्रकाश फूट रहा था। उस चक्र के घूमते ही कटारों की बरसात होने लगी, ग्रेमन जानता था यह कोई साधारण अस्त्र नही है, इसलिये स्वयं को बचाने के लिए उसने अपने अस्त्र का समन किया। अगले ही क्षण उसके हाथों में एक रक्तिम वर्ण का फरसा था जिसके दोनों ही ओर तेज धार थी, उसको पकड़ने के लिए स्याह रंग का मुठ था जो किसी अकट्टय और कभी न टूटने वाली धातु का बना हुआ प्रतीत होता था। ग्रेमन ने अपने दोनों हाथों से उस विचित्र अस्त्र को पकड़कर फरसे के फलको को अपने चेहरे के सामने कर दिया। अगले ही क्षण वहां ऊर्जा कवच बन गया और नराक्ष क द्वारा वार की गई कटारें उस कवच से टकराकर इधर उधर छितराने लगा। ग्रेमन ने जोरदार अट्ठहास किया। उधर उजाले की दुनिया में कहीं भयंकर ज्वालामुखी फट पड़ा, जिसका लावा सैकड़ों मील दूर तक फैलने लगा।

"लगता है अपनी हार की बात सुनकर बौरा गए हो नराक्ष! अन्यथा ऐसी बचकाना हरकत न करते।" अपने फरसे को घुमाते हुए ग्रेमन बोला, फरसे के घूमते ही उससे असंख्य फरसे निकलकर तेज गति से चक्र की भांति नराक्ष की ओर बढ़े। नराक्ष ने अपने दाएं हाथ की छोटी उंगली को हिलाया वह धरती कांपने लगी और उस स्याह गुफा के टूटती हुई चट्टानों ने ग्रेमन और उसके वार को वहीं ढक लिया, नराक्ष भयंकर अट्ठहास कर रहा था। इन दोनों के युद्ध के कारण वहां एक नरक बनता जा रहा था, इधर उजाले के दुनिया में भयानक सुनामी और उच्चतम स्तर का भूकंप आने लगा। सारी दुनिया में तबाही मच रही थी।

"कदाचित अब तुम्हारे पास कोई अवसर शेष होता!" चट्टानों के पहाड़ को चीर कर निकलते ही ग्रेमन ने नराक्ष पर वार किया, उसका फरसा असावधान नराक्ष के कंधे को चीरता हुआ गुजर गया। नीचे स्याह चट्टानें पिघलकर लावे में तब्दील होने लगीं।

"बस यही तो चाहता था मैं!" अपने हाथ में थमें अस्त्र को वहाँ की जमीन पर गाड़ते हुए नराक्ष बोला।

अचानक वहां की स्थिति बदलने लगी, चारों तरफ लावे का तूफान आ गया, बीच में एक संकरा रास्ता था, नीचे लावे में नुकीले चट्टानी पिंड तैर रहे थे, लावे के समुद्र के ऊपर स्याहियां घिरी हुई थीं। यह देखते ही नराक्ष के चेहरे पर मुस्कान थिरक गयी।

"तुम्हारे अस्त्र और मेरे अस्त्र की संयुक्त शक्ति का परिणाम देखना चाहते थे तुम?" नराक्ष अट्ठहास करता हुआ बोल रहा था, ग्रेमन को कुछ भी समझ न आ रहा था फिर भी उसके होंठो पर शैतानी मुस्कान गायब होकर चिंता की पतली सी रेखा खींच गयी।

"पर मेरा अस्त्र…"

"वो अब मेरे पास है।" नराक्ष अपने अस्त्र में ग्रेमन का अस्त्र जोड़ता हुआ बोला।

"फिर वो क्या है जो तुमसे टकराकर मेरे पास आया है?" ग्रेमन अपने हाथ में थमे फरसे को देखकर बोला। "तुमने मेरे अस्त्र का सिर्फ एक अंश मात्र सोखा है नराक्ष! मेरा अस्त्र अब भी मेरे पास है!" ग्रेमन अपने दोनों हाथों में फरसे को पकड़े उछलते हुए नराक्ष पर वार करता है, नराक्ष अपने स्थान से हट जाता है और वह वार लावे के दलदल पर लगता है। अब लावा तेजी से इस स्याह संसार को ढकने लगा था। उजाले की दुनिया में भी समुद्र और भूमि के हर एक कतरे से लावा बहने लगा, किसी भी जीव जंतु का ऐसे हालात में सुरक्षित बच पाना असंभव था। आसमान से मेघ भी आग उगलने लगे थे, संसार में भय व्यापक रूप से फैलने लगा। यह डर अंधेरे के जीवों को शक्तियां प्रदान कर रहा था जिससे वे और अधिक शक्तिशाली हो रहे थे।

"तुम अंधेरे के देवता के समक्ष और अधिक देर नही ठहर सकते नराक्ष!" अपने हाथ से उर्जावार कर नराक्ष को लावे में फेंकते हुए अट्ठहास कर बोला।

"अंधेरे का देवता?" दहकते लावे से बाहर निकलता नराक्ष अट्ठहास करते हुए व्यंग्य किया। इन शैतानों के अट्ठहास से स्वयं भय भी भय के मारे कहीं छिप सा गया था। इस अंधेरी दुनिया में चारों तरफ घना अंधेरा छाया जा रहा था, उजाले की दुनिया में फैले हुए डर से उत्पन्न होती ऊर्जा अंधेरे के जीवों में एक अद्भुत शक्ति का संचार कर रहा था, वह शक्ति जिसके लिए अंधेरे के सभी जीव उजाले की दुनिया में आतंक फैलाते हैं और इसी डर से प्राप्त ऊर्जा को सोखकर जीते हैं।

इस ऊर्जा के अत्यधिक प्रवाह से ग्रेमन एवं नराक्ष दोनों ही अत्यधिक शक्तिशाली हो रहे थे, इनका हर एक वार भीषण था पर एक दूसरे पर बस मामूली खरोंच ही डाल पा रहे थे। परन्तु उजाले की दुनिया अब इनके युद्ध के कारण समाप्त होने के कगार पर आ चुकी थी, हर तरफ तबाही का नजारा था, धरती पर लावे का समुंदर बह रहा था। जीवमात्र स्वयं को बचाने के लिए अपने इष्ट देवताओ का ध्यान कर रहे थे। सम्पूर्ण संसार पर आतंक का साम्राज्य हो चुका था, अपनी आने वाली मृत्यु के डर से लोग भागते-दौड़ते मौत के मुँह में चले जा रहे थे। स्याहियों से भरे इस लावे ने जीवज के डर के साथ उनकी आत्मा की ऊर्जा को भी किसी परजीवी की भांति चूस लिया। अब उजाले के संसार में भी अंधेरा छाने लगा था, उजाले और अंधेरे का समन्वय बिगड़ रहा था। अब स्वयं अंधेरा भी चाहकर यह सब ठीक कर पाने में सक्षम नही था, ऐसे में भी कुछ मनुष्य अपने स्वार्थ सिद्धि में लगे हुए थे जो इस स्याह ऊर्जा के संवाहक बन चारों ओर फैल रहे थे।

धरती भय और आतंक से घिर चुकी थी, तांत्रिकों के कई गुट तंत्र क्रियाओं द्वारा यह सब शांत करने का प्रयास कर रहा था। ऋषि-मुनि यज्ञ करने जुटे हुए थे परन्तु मनुष्यों एवं बाकी के जीवों द्वारा किया जा रहा हर एक प्रयास असफल होता जा रहा था। अंधेरे ने उजाले को किसी स्थान पर शेष नही छोड़ा था, प्रकृति के बनाये नियम नष्ट हो चुके थे। यह प्रकृति भी नष्ट होने कगार पर पहुँच चुकी थी, इस भयानक अंधेरे में डर, चीखों और अपनी जान बचाने की कोशिश करने के अतिरिक्त कुछ भी दिखाई न दे रहा था। स्वार्थ उजाले को नष्ट कर अंधेरे में भी मनुष्य से चिपका हुआ था।

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कहीं और

"क्या तुम निश्चित हो कि तुम यह कर लोगे?" ऐश परेशान स्वर में बोल रही थी, उसके स्वर में चिंता का पुट झलक रहा था।

"क्या हम कोई अन्य मार्ग नही ढूंढ सकते! यह तो एक दुर्गम पथ है, इससे लौट पाना भी असम्भव सा प्रतीत होता है।" मैत्रा भी ऐश की बातों का समर्थन करते हुए बोली, वह स्वयं भी बहुत परेशान थी।

"अब समय नही है देवियों, यदि अब और विलंब किया तो कुछ करने को शेष नही रह जायेगा।" विस्तार हवा में उड़ता हुआ एक स्थान पर ठहरकर बोला।

"तो क्या तुम यह कर सकोगे विस्तार!" ऐश संशय और दुख के भाव समेटे हुए निश्चित करने के इरादे से पूछी।

"मुझे यह करना ही होगा! आखिर मैं ही इसका कारण हूँ अन्यथा यह सब नही होता।" विस्तार के स्याह चेहरे पर दुख के भाव थे, परन्तु उसकी आँखों में कोई चिंता दिखाई नही दे रही थी वह अब भविष्य को लेकर चिंतित प्रतीत नही हो रहा था।

"विस्तार का कहना सही है! अब विलम्ब करने का कोई अर्थ नही है और यह केवल विस्तार ही कर सकता है इसलिए उसे यह करना ही होगा।" आँच स्वयं को कठोर करने का प्रयास करते हुए बोली।

"परन्तु वह आत्मग्लानि में जल रहा है क्या वह कर पायेगा? जबकि वह यह जानता है कि उसने यह सब नही किया यही उसकी नियति है।" ऐश ने अपने संशय प्रकट किया।

"मैं अवश्य कर लूंगा देवियों, बस बाकी सबकुछ आपको ही ठीक करना होगा।" विस्तार बोला।

"हम अंधेरे के कारण हुई अनावश्यक क्षति एवं घटनाओं को पुनः बदल सकते हैं परन्तु इसके लिए तुम्हारे द्वारा यह कार्य पूर्ण होना आवश्यक है।" आँच उसे समझाते हुए बोली।

"और ये देवी देवी क्या है? जब तुम जानते ही हो कि हम तुम्हारी बहने हैं!" ऐश क्रोध करने का अभिनय करते हुए बोली।

"जानता हूँ बहनों! अब तो मुझे सफल होना ही होगा चाहे इसका अंजाम जो कुछ भी हो…!" विस्तार एक ओर बढ़ चला।

"हम भी इसका प्रबन्ध करेंगे भाई कि आने वाले समय में कभी कोई पुनः तुम्हारा या हमारा उपयोग न कर सके, यह पन्ना इतिहास से मिटा दिया जाएगा।" मैत्रा ने दूर जाते हुए विस्तार को देखते हुए उससे कहा।

"तुम जानती हो यह कार्य दुष्कर है आँच!" ऐश आँच पर भड़क रही थी।

"हाँ!" आँच ने सहमति दी।

"इसमें उसकी मृत्यु भी हो सकती है, अभी अभी तो पता चला है वह हमारा भाई है।" ऐश भड़क रही थी, उसके चेहरे पर चिंगारियां स्फुटित होने लगीं।

"कर्तव्य हमेशा सभी रिश्तों से ऊपर होता है ऐश!" मैत्रा, ऐश को समझाते हुए बोली।

"और वह जिस कार्य के लिए गया है उसे सिर्फ वही कर सकता है! क्योंकि वही कुंजी है!" आँच ने कहा। "चलो अब हमें  भी हमारा दायित्व पूरा करना होगा।"

क्रमशः…..

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3 Comments

Kaushalya Rani

25-Nov-2021 10:17 PM

Wow great

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Farhat

25-Nov-2021 06:36 PM

Good

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🤫

26-Jul-2021 04:51 PM

कहाँ कहाँ से कहानी मे मोड़ ले आते है आप ...इट्स वेरी एफेक्टिव।वेरी नाइस स्टोरी

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